22 जून, 2011

फ्रेंकलिन के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन का पत्र

माना जाता है कि जिस पत्र ने दुनिया में परमाणु हथियारों की दौड़ का रास्ता खोला था वह निष्कासित जर्मन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा फ्रेंकलिन डी रूजवेल्ट को लिखा गया यह पत्र था. इस पत्र में आइंस्टीन ने राष्ट्रपति रूजवेल्ट को 'एक नए प्रकार के अत्यंत शक्तिशाली बम' के होने की आशंका की तरफ आगाह करते हुए इशारा किया था कि जर्मन सरकार इस बम के निर्माण पर काम कर रही है. कई रसायन और भौतिक वैज्ञानिक, बम से जुड़े अनुसंधान में तन्मयता से लगे हुए हैं. पीकोनिक, लांग आईलैंड से लिखते हुए आइंस्टीन ने कहा था कि वह इसकी पूरी जिम्मेदारी लेते हैं. उन्होंने इसे अपने जीवन की 'सबसे बड़ी गलती' बताया.
7 मार्च, 1940, लांग आईलैंड
महोदय,

मैं आपका ध्यान उन नई गतिविधियों की तरफ आकर्षित करना चाहता हूं जो आपके द्वारा आयोजित सरकारी प्रतिनिधियों और वैज्ञानिकों के बीच हुए सम्मेलन के बाद घटित हुई. पिछले साल जब मैंने महसूस किया कि यूरेनियम पर हुए अनुसंधान राष्ट्रीय महत्व के हो सकते हैं, तो मैने सोचा कि यह मेरा कर्तव्य है कि मैं प्रशासन को इसकी संभावना के संबंध में सूचना दूं. आपको शायद याद हो कि मैंने राष्ट्रपति को संबोधित एक पत्र में इस तथ्य का उल्लेख किया था कि जर्मनी के एक अंडर सेकेट्री का बेटा सी एफ वॉन विजसैकर रसायनविदों के एक समूह के साथ मिल कर कैसर विल्हेम संस्थान जो कि एक-रसायन विज्ञान का संस्थान है, में यूरेनियम पर काम कर रहा है.
युद्ध शुरू होने के बाद जर्मनी में यूरेनियम को लेकर रुचि कुछ ज्यादा ही तेजी से बढ़ गई है. मुझे पता चला है कि यूरेनियम पर अनुसंधान काफी गोपनीय तरीके से हो रहा है और इस पर कैसर विल्हेम संस्थान के भौतिकी संस्थान में भी काम किया जा रहा है. यह सरकार के अधीन हो गया है. सी एफ वॉन विजसैकर के नेतृत्व में रसायन विज्ञान संस्थान के साथ भौतिकी के विद्वानों का एक समूह यूरेनियम पर काम कर रहा है. इसके पूर्व निदेशक को युद्ध की अवधि के दौरान छुट्टी पर भेज दिया गया है. अगर आपको लगता है कि राष्ट्रपति को यह जानकारी देना उचित होगा तो कृपया ऐसा करें.
साथ ही आप कृपा करके मुझे बताएं कि क्या आप इस दिशा में कुछ कार्रवाई कर रहे हैं? डॉ स्जिलार्ड ने मुझे फिजिक्स रिव्यू में भेजने के लिए पांडुलिपि दिखाई है जिसमें उन्होंने विस्तार से यूरेनियम में एक शृंखला प्रतिक्रिया स्थापित करने की एक विधि का वर्णन किया है. अगर इसे रोका नहीं गया तो यह पेपर प्रकाशित हो जाएगा.
अब प्रश्न यह उठता है कि इसकाप्रकाशन रोकने के लिए कुछ किया जाना चाहिए या नहीं? मैंने प्रिंसटन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विगनर से इस उपलब्ध सूचना पर चर्चा की है. डॉ स्जिलार्ड अक्टूबर से हुई अब तक की गतिविधियों पर एक ज्ञापन देंगे ताकि आप उचित परिस्थितियों के लिए जरूरी कार्रवाई कर सकें.
आप यह देख सकते हैं कि जो तरीका वह अपना रहे हैं वह काफी अलग है और ज्यादा उचित है. खास तौर से फ्रांस के एम जोलिओग की तुलना में, जिनके काम की रिपोर्ट आपने अखबारों में पढ़ी होगी.

 आपका
 अल्बर्ट आइंस्टीन