सवाल 01 - अगर ईश्वर का अस्तित्व नहीं है, तो फिर दुनिया की हर संस्कृति में भगवान को सर्वशक्तिमान और सर्वोच्च सत्ता क्यों माना गया है? ईश्वर की अवधारणा सार्वभौमिक यानि यूनिवर्सल क्यों है?
प्रो. हॉकिंग - मैं ये दावा नहीं करता कि ईश्वर का अस्तित्व नहीं है। ईश्वर या भगवान एक नाम है जिससे लोग अपने अस्तित्व को जोड़ते हैं और अपनी जिंदगी के लिए जिसके शुक्रगुजार होते हैं। लेकिन मेरी समझ से सौरमंडल के इस तीसरे ग्रह पर जिंदगी और अपनी मौजूदगी के लिए भौतिक विज्ञान के नियमों का आभार मानना चाहिए, न कि भगवान जैसी किसी सार्वजनिक सत्ता का जिसके साथ व्यक्तिगत रिश्ता जोड़कर हम खुद को भुलावे में रखते हैं।
सवाल 02 – क्या कभी ब्रह्मांड का भी अंत होगा? अगर हां, तो इस अंत के बाद क्या होगा?
प्रो. हॉकिंग - एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जरवेशंस बताते हैं कि हमारा ब्रह्मांड फैल रहा है और इसके फैलने की रफ्तार लगातार बढ़ती जा रही है। ब्रह्मांड हमेशा ही फैलता रहेगा और इसके साथ-साथ ये और भी ज्यादा अंधकारपूर्ण और खाली जगहों को जन्म देता रहेगा। ब्रह्मांड का जन्म बिगबैंग की घटना से हुआ था, लेकिन इसका कोई अंत नहीं है। कोई ये भी पूछ सकता है कि बिगबैंग से पहले क्या था, लेकिन इसका जवाब भी ये होगा कि जैसे दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर दक्षिण दिशा लुप्त हो जाती है, उसी तरह बिगबैंग से पहले कुछ भी नहीं था। क्योंकि बिगबैंग एक शुरुआत है, इस शुरुआत से पहले कैसे कुछ हो सकता है।
सवाल 03 – क्या आपको लगता है कि मानव सभ्यता का वजूद इतने लंबे समय तक बरकरार रहेगा कि वो अंतरिक्ष में गहरे और गहरे छलांग लगा सके?
प्रो. हॉकिंग - मुझे लगता है कि मानव जाति के पास अपने अस्तित्व को तबतक बचाए रखने के बेहतर मौके हैं जब तक कि हम अपने सौरमंडल को कॉलोनाइज नहीं कर लेते। हालांकि इस पूरे सौरमंडल में हमारे लिए पृथ्वी जैसी माकूल कोई दूसरी जगह नहीं है, इसलिए अभी ये स्पष्ट नहीं है कि जब ये धरती ही जीवन के किसी भी स्वरूप के रहने के लायक नहीं रहेगी, ऐसे हालात में मानव जाति बचेगी या नहीं। मानव जाति के वजूद को ज्यादा से ज्यादा लंबे वक्त तक बरकरार रखने के लिए दूसरे सितारों की दुनिया तक हमारा पहुंचना जरूरी है। अभी इसमें काफी वक्त है। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि तब तक हम पृथ्वी पर खुद को बचाए रखने में कामयाब रहेंगे।
सवाल 04 – अगर आप अल्बर्ट आइंस्टीन से बात कर सकते, तो उनसे क्या कहते?
प्रो. हॉकिंग - मैं उनसे कहता कि वो आखिर ब्लैक होल्स में यकीन क्यों नहीं करते। उनके रिलेटिविटी के सिद्धांत के फील्ड समीकरण बताते हैं कि एक विशाल सितारा या गैसों का सघन बादल खुद में ही नष्ट होकर एक ब्लैक होल को जन्म दे सकता है। आइंस्टीन खुद इस तथ्य को जानते थे, लेकिन फिरभी उन्होंने किसी तरह खुद को समझा लिया था कि किसी भी धमाके की तरह हर विस्फोट द्रवमान या वजन को बाहर फेंक देने के लिए ही होता है। यानि वो मानते थे कि सितारों की मौत होते ही एक धमाके के साथ उसका सारा पदार्थ बाहर छिटक जाता है। लेकिन अगर विस्फोट हो ही नहीं और सितारे की मौत होते ही उसका सारा द्रव्यमान बस उसके एक ही बिंदु में सिमटकर रह जाए तो?
सवाल 05 – ऐसी कौन सी वैज्ञानिक खोज या विकास है जिसे आप अपने जीवनकाल में ही साकार होते हुए देखना चाहते हैं?
प्रो. हॉकिंग - मैं चाहूंगा कि मेरे जीवनकास में नाभिकीय फ्यूजन ही ऊर्जा का व्यावहारिक जरिया बन जाए। इससे हमें ऊर्जा की अक्षय आपूर्ति होती रहेगी और वो भी ग्लोबल वॉर्मिंग या प्रदूषण के खतरों के बगैर।
सवाल 06 – मृत्यु के बाद हमारी चेतना का क्या होता है? आप क्या मानते हैं?
प्रो. हॉकिंग - मैं मानता हूं कि हमारा मस्तिष्क एक कंप्यूटर और चेतना उसके एक प्रोग्राम की तरह है। ये प्रोग्राम उस वक्त काम करना बंद कर देता है, जब उसका कंप्यूटर टर्न ऑफ हो जाता है। सिद्धांतत: हमारी चेतना की रचना न्यूरल नेटवर्क पर फिर से की जा सकती है। लेकिन ऐसा करना बेहद मुश्किल है, इसके लिए मृतक की सारी स्मृतियों की आवश्यकता पड़ेगी।
सवाल 07 – आप एक ब्रिलिएंट फिजिसिस्ट के तौर पर मशहूर हैं, आपकी ऐसी कौन सी आम रुचियां हैं, जो शायद लोगों को हैरान कर सकती हैं?
प्रो. हॉकिंग - मुझे हर तरह का संगीत पसंद है, पॉप, क्लासिकल और ऑपेरा, हर तरह का। मैं अपने बेटे टिम के साथ मिलकर फॉर्मूला वन रेसिंग का भी मजा लेता हूं
सवाल 08 – क्या आपको कभी ऐसा लगा कि आपकी शारीरिक अक्षमता की वजह से अपने शोध में आपको फायदा पहुंचा, या इससे आपके अध्ययन में रुकावट आई?
प्रो. हॉकिंग - हालांकि मैं खासा दुर्भाग्यशाली रहा कि मोटर-न्यूरॉन डिसीस जैसी बीमारी की चपेट में आ गया, इसके अलावा जीवन के दूसरे सभी मामलों में मैं खासा भाग्यशाली रहा। मैं खुद को काफी खुशनसीब समझता हूं कि मुझे थ्योरेटिकल फिजिक्स में काम करने का मौका मिला, और अपनी लोकप्रिय किताबों की मदद से मैं जैकपॉट को हिट करने में कामयाब रहा। ये काम के ऐसे कुछ ऐसे गिने-चुने क्षेत्र है, जहां शारीरिक अक्षमता से कोई फर्क नहीं पड़ता।
विज्ञान-लेख
सवाल 09 – जिंदगी के सभी रहस्यों के जवाब लोग आपसे जानने की अपेक्षा रखते हैं, क्या इससे आपको एक बड़ी जिम्मेदारी का बोध नहीं होता?
प्रो. हॉकिंग - देखिए, जिंदगी की सभी समस्याओं का हल यकीनन मेरे पास नहीं है। फिजिक्स और गणित ये तो बता सकते हैं कि ब्रह्मांड का जन्म कैसे हुआ, लेकिन इनसे मानवीय व्यवहार के रहस्यों को नहीं समझा जा सकता। क्योंकि अभी बहुत से सवालों को सुलझाना बाकी है। लोगों को समझने के मामले में मैं अनाड़ी हूं। दूसरे लोगों की तरह मैं भी अब तक ये नहीं समझ पाया हूं कि लोग किसी चीज पर विश्वास कैसे कर लेते हैं, खासतौर पर महिलाएं।
सवाल 10 – क्या आपको लगता है कि कभी ऐसा वक्त भी आएगा, जब मानव जाति फिजिक्स के बारे में सबकुछ जान-समझ जाएगी?
प्रो. हॉकिंग - मुझे लगता है, कि ऐसा कभी नहीं होगा